Tuesday, December 27, 2011

भगतसिंह

भगतसिंह पिस्तौल की अपेक्षा पुस्तक के अधिक करीब थे। उनके अनुसार भगतसिंह ने अपने जीवन में केवल एक बार गोली चलाई थी, जिससे सांडर्स की मौत हुई। उनके अनुसार भगतसिंह के आगरा स्थित ठिकाने पर कम से कम 175 पुस्तकों का संग्रह था। चार वर्षो के दौरान उन्होंने इन सारी किताबों का अध्ययन किया था। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल की तरह उन्हें भी पढने की इतनी आदत थी कि जेल में रहते हुए भी वे अपना समय पठन-पाठन में ही लगाते थे। गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की जेल में रहते हुए 27 अप्रैल 1929 को उन्होंने अपने पिता को पत्र लिखकर पढने के लिये लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक5 की "गीता रहस्य" मंगवायी थी। उनकी हर बात की तरह यह समाचार भी लाहौर से प्रकाशित होने वाले तत्कालीन अंग्रेजी दैनिक 'द ट्रिब्यून' के 30 अप्रैल 1929 अंक के पृष्ठ संख्या नौ पर "एस. भगत सिंह वांट्स गीता" शीर्षक से छपा था। रिपोर्ट में लिखा गया था कि सरदार भगत सिंह ने अपने पिता को नेपोलियन की जीवनी और लोकमान्य टिळक की गीता की प्रति भेजने के लिए लिखा है।

Saturday, June 11, 2011

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.

Wednesday, June 1, 2011

नहीं माने बाबा रामदेव, अनशन पर अड़े

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बाबा रामदेव के आगे संप्रग सरकार बुधवार को पूरी तरह दंडवत नजर आई। उन्हें केंद्र सरकार ने किसी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष जैसा सम्मान दे दिया। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जैसे वरिष्ठ नेता समेत तीन मंत्री उनकी अगवानी करने नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे,

घर-घर जाकर महंगाई की थाह लेगा आरबीआइ

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महंगाई से आम जनता कितनी परेशान है, इसकी थाह लेने के लिए रिजर्व बैंक [आरबीआइ] घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेगा। यही नहीं आगे जब आरबीआइ के शीर्ष अधिकारी मौद्रिक नीति बनाने या ब्याज दरों को तय करने का फैसला करेंगे तो आम जनता के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे।