Wednesday, June 1, 2011

नहीं माने बाबा रामदेव, अनशन पर अड़े

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बाबा रामदेव के आगे संप्रग सरकार बुधवार को पूरी तरह दंडवत नजर आई। उन्हें केंद्र सरकार ने किसी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष जैसा सम्मान दे दिया। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जैसे वरिष्ठ नेता समेत तीन मंत्री उनकी अगवानी करने नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे,
लेकिन इस अभूतपूर्व स्वागत से गदगद होने के बावजूद बाबा काला धन की वापसी के लिए अनशन पर आमादा हैं। वहीं, समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी बाबा का समर्थन कर सरकार की पेशानी पर बल बढ़ा दिए हैं। कांग्रेस ने इन प्रयासों से खुद को दूर दिखाने के लिए अपनी सरकार के मंत्रियों की सक्रियता पर ही सवाल खड़े कर दिए।
बाबा रामदेव के कड़े रवैये के बावजूद सरकार ने हार नहीं मानी है। 3 जून को यानी आमरण अनशन के ठीक एक दिन पहले सरकार निर्णायक बातचीत करेगी। बुधवार को इस प्रकरण पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने आवास पर प्रणब मुखर्जी, पी. चिदंबरम और कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ नए हालात पर चर्चा की। हालांकि रामदेव को इतनी तवज्जो दिए जाने पर उठ रहे सवालों पर कांग्रेस ने अपनी सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 'मंत्रियों की इस कोशिश से पार्टी सहमत नहीं है।' वहीं, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव पर प्रहार भी किया और कहा कि 'बाबा से कौन डरता है?'।
अन्ना हजारे की अनदेखी के आरोपों से जूझती रही मनमोहन सरकार इस दफा पहले ही झुककर मामले को शांत करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसीलिए, पहले प्रधानमंत्री ने बाबा से अनशन न करने की अपील की। इसके बाद जब बाबा दिल्ली आए तो प्रणब मुखर्जी, कपिल सिब्बल और पवन बंसल जैसे मंत्री उनकी अगवानी करने पहुंचे। इस पर भी बाबा टस से मस नहीं हुए तो सरकार अब अगली रणनीति बनाने में जुट गई है। प्रधानमंत्री ने अपने आवास पर बैठक कर इस मसले पर चर्चा की और रामदेव का अनशन रोकने के उपाय तलाशे। अब 3 जून को सरकार के मंत्री फिर बाबा के साथ बैठक कर उनका अनशन तुड़वाने का प्रयास करेंगे।
उधर, सिविल सोसायटी को विभाजित करने के सरकार के प्रयासों को भी धक्का लगा। जिन समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ बाबा रामदेव के मतभेद की बात कही जा रही है, उन्होंने भी सार्वजनिक रूप से बाबा का समर्थन कर सरकार की सांसत बढ़ा दी है। दरअसल, सरकार लोकपाल विधेयक पर टीम अन्ना को आइना दिखाने के बाद रामदेव के सहारे सरकार सिविल सोसायटी के दबाव से उबरने में जुटी थी लेकिन बाबा को अन्ना से मिले समर्थन ने उसकी चिंता बढ़ा दी है।

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