विभिन्न परिस्थितियों में कुछ बातें मन में आयीं और वहीं ठहर गयीं। मन में ज़्यादा घुमडीं तो डायरी में लिख लीं। अधिकांश वाक्य अंग्रेज़ी में थे और भाषा चटख/क्रिस्प थी। हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत है। अनुवाद करने में भाषा की चटख शायद वैसी नहीं रही, परंतु भाव लगभग वही हैं।
1. दोष देना सीख लिया तो कुछ और क्यों सीखें?
2. छोटी-छोटी दीमकें बडे-बडे पेड गिरा देती हैं।
3. कुछ और होने से बुद्धिमान होना अच्छा।
4. लत सही ठहराने वाले से तो लती बेहतर है।
5. परेशानी प्यार करने से नहीं, जान खाने से होती है।
6. दिशाहीन इच्छाशक्ति बेमतलब ही नहीं हानिप्रद भी हो सकती है।
7. सुनहरा दिल होना काफी नहीं है, सक्षम पाँव और कुशल हाथ भी चाहिये।
8. ज़िम्मेदारी किसकी थी कहने से समस्या हल नहीं होती।
9. जिसे दी उसे समझ ही न आये, ऐसी सलाह बेकार है।
10. दिल का दर्द शब्दों में कहाँ बंधता है?
11. अगर आप मेरी बात का कोई भाग सुन न सके हों तो वह हिस्सा दोहरा दें, ताकि में फिर कह सकूँ।
12. जो बात अनसुनी रह गयी उसका कहना बेकार गया।
13. चिंता छोडो, कर्म करो।
14. समय - कल अच्छा था, आज बेहतर है, कल स्वर्णिम होगा/करेंगे।
15. रुपए भर की कमाई जितना बडा बनायेगी, सैकड़ों की भीख नहीं।
16. सचेत रहो, दुर्भाग्य निर्मम शिकारी है।
17. कर्कश गायन मुझे नापसन्द है भले ही मेरे स्वर में हो।
18. बुद्धिमान साम्य ढूंढते है परंतु अंतर का अपमान नहीं करते।
19. सच्ची निराशा से झूठी आशा बेहतर।
20. हम संसार को अपने अज्ञान की सीमाओं में ही समझते हैं।
21. मुझे दु:ख कुछ छोडने का नहीं, खुद से छूटने का है।
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1. दोष देना सीख लिया तो कुछ और क्यों सीखें?
2. छोटी-छोटी दीमकें बडे-बडे पेड गिरा देती हैं।
3. कुछ और होने से बुद्धिमान होना अच्छा।
4. लत सही ठहराने वाले से तो लती बेहतर है।
5. परेशानी प्यार करने से नहीं, जान खाने से होती है।
6. दिशाहीन इच्छाशक्ति बेमतलब ही नहीं हानिप्रद भी हो सकती है।
7. सुनहरा दिल होना काफी नहीं है, सक्षम पाँव और कुशल हाथ भी चाहिये।
8. ज़िम्मेदारी किसकी थी कहने से समस्या हल नहीं होती।
9. जिसे दी उसे समझ ही न आये, ऐसी सलाह बेकार है।
10. दिल का दर्द शब्दों में कहाँ बंधता है?
11. अगर आप मेरी बात का कोई भाग सुन न सके हों तो वह हिस्सा दोहरा दें, ताकि में फिर कह सकूँ।
12. जो बात अनसुनी रह गयी उसका कहना बेकार गया।
13. चिंता छोडो, कर्म करो।
14. समय - कल अच्छा था, आज बेहतर है, कल स्वर्णिम होगा/करेंगे।
15. रुपए भर की कमाई जितना बडा बनायेगी, सैकड़ों की भीख नहीं।
16. सचेत रहो, दुर्भाग्य निर्मम शिकारी है।
17. कर्कश गायन मुझे नापसन्द है भले ही मेरे स्वर में हो।
18. बुद्धिमान साम्य ढूंढते है परंतु अंतर का अपमान नहीं करते।
19. सच्ची निराशा से झूठी आशा बेहतर।
20. हम संसार को अपने अज्ञान की सीमाओं में ही समझते हैं।
21. मुझे दु:ख कुछ छोडने का नहीं, खुद से छूटने का है।
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